कॉमनवेल्थ खेलों पर मेरी निराशा पर एक पद -
जी करता है लंड से लूँ अपना सिर फोड़
खेलों में कैसे लगा साठ हज़ार करोड़
साठ हज़ार करोड़ ये दिल्ली खूब सजाई
चुदी चुदाई एक भिखारन दुल्हन बनाई
कलगी कॉमनवेल्थ खेल अब सफल बनाने
योरप की रंडियां लगी हैं दिल्ली आने .
(किसी देशभक्त को पसंद आये तो ज़हे-नसीब, मुक़र्रर कहिये ,और भी सुनाऊंगा )--बाबा चलते हैं .................